Profound to the roots.
Great poem!
समझना चाहो तो मैं
खुली किताब हूँ
नहीं तो
खुद से ही अनजान हूँ
किसी का अरमान
किसी का जहान हूँ
गलतियों की खदान
ज्ञान का आसमान हूं
मैं ही हूं जीवन
मैं ही आम
मैं ही खास हूं
प्रेम का स्रोत
अपना ही परिणाम हूं
मैं ही शांति दूत
मैं ही जंग का आधार
कभी पल-पल में अलग
कभी एक समान हूँ
न कम आंक मुझे
मैं इंसान हूँ
खुद में ही ब्रह्मांड हूँ ॥