VISION FOR A GLOBAL FAMILY!
वसुधैव कुटुम्बकम्
मेरा ऐसा मानना है कि समाज में पहले से अधिक भाईचारा है और विशेष कर कोरोना काल के प्रादुर्भाव से और भी बढ़ा है | परिवार से शुरुवात होकर पास पड़ोस, फिर मकान या कॉम्प्लेक्स और फिर अपने समाज ,शहर आदि में इस भाईचारे का फैलाव दुनिया के सभी वृद्धाश्रमों को बंद करने की शक्ति रखता है| लॉकडाउन के समय के अपने अनुभव से मन में आये विचारों को शब्द दिए थे वही साझा कर रहा हूँ | शुरुवात मैंने जरूर अपने समाज का नाम लेकर की है क्योंकि इसे ही मैंने नजदीक से देखा है पर मेरे अनुसार यही हर समाज का सच है, कहीं बहुत कहीं कुछ कम !
और सबसे अहम् बात जिसे कहने का प्रयास कर रहा हूँ वो है की वसुधैव कुटुम्बकम् साकार होने की पहली पायदान है संयुक्त परिवार!

संयुक्त परिवार की चाह
(वसुधैव कुटुम्बकम् की ओर पहला कदम)
मेरा मारवाड़ी समाज
है प्राचीन,है नवीन
अत्युत्तम,विलक्षण,अनोखा
अनेकता में एकता
अग्रवाल,माहेश्वरी,ओसवाल
जैन,गोयल,खंडेलवाल
विभिन्नता पर एकता
मानों…
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