RAKSHA BANDHAN

रक्षा बंधन : बहन और भाई का त्यौहार

रक्षाबंधन हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे भाई-बहन के अटूट प्रेम और बंधन को मनाने के लिए मनाया जाता है। यह हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उन्हें उपहार देती हैं। भाई अपनी बहनों की रक्षा का वचन देते हैं।

रक्षाबंधन के कुछ लोकप्रिय प्रतीक हैं:

  • राखी: यह एक पवित्र धागा होता है, जिसे बहनें अपने भाइयों की कलाई पर बांधती हैं। यह भाई-बहन के बंधन का प्रतीक है।
  • रोली: यह एक लाल रंग का लेप होता है, जिसे बहनें अपने भाइयों के माथे पर लगाती हैं। यह शुभता और सौभाग्य का प्रतीक है।
  • चावल: यह एक पवित्र अन्न होता है, जिसे बहनें अपने भाइयों की कलाई पर लगाती हैं। यह समृद्धि और समृद्धि का प्रतीक है।
  • मिठाई: यह खुशी और आनंद का प्रतीक है।
  • दीपक: यह प्रकाश और ज्ञान का प्रतीक है।

रक्षाबंधन संबन्धित पौराणिक कहानीयां : 

देवी लक्ष्मी और राजा बली


जब भगवान वामन रूप में राजा बलि के पास आए तब भगवान ने राजा बलि से तीन पग धरती मांगी थी।
भगवान ने दो ही पग में संपूर्ण पृथ्वी और आकाश को नाप लिया तब राजा बलि समझ गए कि भगवान उनकी परीक्षा ले रहे हैं उन्होंने तीसरा पग अपने सिर पर रखने को कहा। इसके बाद भगवान ने राजा बलि से कुछ मांगने को कहा।

राजा बलि ने भगवान विष्णु से वरदान मांगा कि आप मेरे साथ पाताल लोक में चार महीने तक पहरेदार बनकर रहेंगे। तब से भगवान विष्णु लक्ष्मी माता जी को स्वर्ग में छोड़कर वर्ष में चार महीने राजा बलि के पहरा देने लगे व पहरेदार के रूप में रहने लगे।

रक्षाबंधन के दिन श्री लक्ष्मी जी स्वर्ग से रिमझिम करती हुई राखी लेकर पधारी। लक्ष्मी जी ने राजा बलि को अपना भाई बना कर राखी बांधी साथ ही भतिजो और भाभी को भी राखी बांधी। जब रानी हीरे मोती का थाल लेकर आई तो श्री लक्ष्मी जी ने कहा की भाभी हीरे मोती तो घर में भी बहुत है मैं तो यहां अपने पति( भगवान विष्णु जी) को मुक्त करवाने आई हूं।

इस प्रकार श्री लक्ष्मी जी राजा बलि की बहन बनी और भगवान विष्णु को अपने साथ लेकर चली गई।


द्रौपदी और कृष्ण

एक बार भगवान श्री कृष्ण के हाथ में चोट लग गई और हाथ से खून बहने लगा।
जब द्रौपदी ने देखा तो उन्होंने तुरंत अपनी धोती से कपड़ा फाड़ कर पट्टी कर दी।
तब श्रीकृष्ण इस बंधन के ऋणी हो गए और जब दुशासन द्रौपदी का चीर हरण करने की कोशिश कर रहा था तब श्री कृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा की व लाज को बचाया।
कहते हैं कि जिस दिन द्रौपदी ने भगवान श्री कृष्ण के कलाई पर अपने पल्लू से कपड़ा बांधा था उस दिन श्रावण पूर्णिमा थी तब से इसी दिन रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाने लगा।

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Raksha Bandhan

Published by Debasis Nayak

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