सोचना क्या है

Navneet Kumar's avatarThe Horizon

अपने रूठे
मेरे वाक्पटुता पर भी
व खामोशी पर भी
अब तू ही बता ए खुदा
इनके बीच का रास्ता क्या है,
उम्र गुजरी खुद से ज्यादा
उनकी परवाह करने में
हवाइयां उड़ी मेरी जब उन्होंने कहा
‘ मेरे लिए आखिर तुमने किया क्या है ‘,
मैं हूं एक आज़ाद परिंदा
एक दिन उड़ जाना है
जितना मर्जी हंस ले चाहे मुझपर
हिसाब तेरा भी होगा मित्र
बंधु, तेरी हैसियत ही क्या है,
आधुनिकता का तमाचा ऐसा कि
अब इज्ज़त केवल धन की रह गई
हर इंसान से उसका ज़मीर पूछता
‘ बता तेरा दाम क्या है ‘,
इतनी पीड़ा सह ली है
एक दिन सब
बेहतर होने के लालच में कि
आज जब मृत्यु ने पूछा
‘ चलें ‘ ?
तब मैंने कहा
‘ इसमें सोचना क्या है ‘ ॥

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Published by Debasis Nayak

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