तन्हाई (SOLITUDE)

Originally posted on The REKHA SAHAY Corner!:
महफ़िलें, भीड़, मेले में भी हो अकेले जब। तन्हाई की आदत हो जाती है तब। तन्हा सफ़र की आदत जाती नहीं तब, तन्हाई की लगे जब तलब। एकांत की खुमारी छाने लगे। बिना नशा भी नशा आने लगे। मतलब तन्हाई बन गई है शौक़ अजब रब के आशीर्वाद…

पापा की लाडली- बेटी

Harina's Blog एक रिश्ता है, बड़ा ही प्यारापिता-पुत्री का रिश्ता है न्यारा। मेरे पापा सब से न्यारे है,मेरे पापा सब से प्यारे है। बेटी के लिए पूरी दुनिया होते है उसके पापा,पापा के लिए राजकुमारी होती है उनकी बेटी। बेटी पर प्रेम का झरना बरसाते है पापा,बेटी पर देखभाल का झरना बरसाते है पापा। पापाContinue reading “पापा की लाडली- बेटी”

चल दूर कहीं

Originally posted on Zoya Ke Jazbaat:
चल इस दुनिया से दूर कहीं हम दोनों चले जाते हैं,नदी से मोहब्बत और फल से मीठा रस लाते हैं। आसमाँ को चादर और जमीं को बिछौना बनाते हैं,सूरज की रोशनी और ठंडी हवा से सुकून पाते हैं। फूलों से खुशबू और चाँद से चाँदनी चुरा लाते हैं,चलो उस…

प्यार और ममता…

Originally posted on मधुर लघु काव्य संग्रह:
ना जाने क्यों दिल मचल रहा है आज बार बार, बस एक बार प्यार से तुम पुकार लो मेरा नाम, अपने ममता के छाँव में पनाह दे दो तुम मुझे, ताकि भूल जाऊँ वो दर्द जो जमाने ने दिए है मुझे। मुझे याद हैं वो लम्हे, जब जागी थी तुम रात भर,…

सोचना क्या है

Originally posted on The Horizon:
अपने रूठेमेरे वाक्पटुता पर भीव खामोशी पर भीअब तू ही बता ए खुदाइनके बीच का रास्ता क्या है,उम्र गुजरी खुद से ज्यादाउनकी परवाह करने मेंहवाइयां उड़ी मेरी जब उन्होंने कहा‘ मेरे लिए आखिर तुमने किया क्या है ‘,मैं हूं एक आज़ाद परिंदाएक दिन उड़ जाना हैजितना मर्जी हंस ले चाहे…

ज़ेहन में सवाल

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कई सवालज़ेहन में उठते हैं मेरेअगर हम जीते हैं तोजीते क्यों नहीं ?अगर ईश्वर को मानते हैं, तोखुद में उसे ढूँढ़ते क्यों नहीं ?ऐसा व्यवहार दूसरों सेक्यों करते हमजो खुद संग होतेदेख सकते नहीं ?कहते हैंजो चीज़ कम होती हैउसकी कीमत बढ़ जाती हैतो ईमान-प्रेम की क्यों नहीं ?गलत कौन,…

जज़्बात…

Originally posted on मधुर लघु काव्य संग्रह:
चाहे लोग कहे हज़ार, अपने कर्तव्य को आगे रखो आप, लोगों का क्या है जनाब, वो तो अच्छे को भी कहेंगे ख़राब। दिन हो या रात, अपनों को करो तुम याद, रहो ख़ुश तुम भी खुद में, और रहो ख़ुश आप भी अपनों के साथ। शायद वो दिन आए कभी, जब करना…

कश्मीर ~ KASHMIR

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भटकती हैं मेरी यादें उन पर्वतों के गलियारों में कुदरत का खूबसूरत नमूना पेश-ए-खिदमत जिसकी रक्षा की है देश के जवानों ने । कोई इज़्ज़त लूट रहा है इन वादियों की कोई इज़्ज़त बचा रहा है अपने साथियों की क्या समझ घास चरने गयी है सब देश के चालक, समझदारों…

युद्ध से नफरत कर

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युद्ध विनाश है इससे नफरत कर सभ्यताओं का करे सर्वनाश जिसे रखा युगों से संजो कर युद्ध कोई जवाब नहीं है ये एक सवाल टाल सिर पर लटकी युद्ध की तलवार भला न तेरा, भला न मेरा फिर क्यों करता ये भी मेरा, वो भी मेरा ? मोहब्बत से जीत…

मैं इंसान हूं

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समझना चाहो तो मैं खुली किताब हूँ नहीं तो खुद से ही अनजान हूँ किसी का अरमान किसी का जहान हूँ गलतियों की खदान ज्ञान का आसमान हूं मैं ही हूं जीवन मैं ही आम मैं ही खास हूं प्रेम का स्रोत अपना ही परिणाम हूं मैं ही शांति दूत…

जीवित है

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जीवित है कुछ करना है कर जा न तुच्छ बन न तुच्छ समझ किसी को मृत्यु की न ख़्वाहिश कर जी, और जी जा वक़्त है अभी तो दुआ कर कल की ज़िन्दगी बन जा बेहतर समाज की कल्पना कर उसे हकीकत कर जा तरसेगा हर लम्हे को जो है…

परछाई बूंदों की होती

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परछाई बूंदों की होती, सागर की नहीं अंधेर दीपक तले होता, सूर्य के नहीं नज़र है पास सबके, क्यों नज़रिया नहीं ? ज़िन्दगी है पास सबके, क्यों जीने का रवैया नहीं ? धुंध छाए आकाश में, बरसता बादल है धुआं नहीं विकल्प सबके पास है, चुनने का हक़ या हुनर…

अपने सपने हो गए

Originally posted on The Horizon:
एक-एक कर सब अपने अब सपने हो गए कुछ सपने हैं उसमें से कुछ ही अपने हैं जाने पहचाने रिश्ते अनजाने हो गए देखते-देखते क्या से क्या हो गए कुछ पल में बदल गए कुछ तो बस यूं ही बदल गए हम देखते रह गए कि कब हम पराए हो…

बचपन

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कहीं गुम हो गई वो मासुमियतखो गई कहीं वो प्यारी मुसकान इस असंतोषी भागमभाग भारी ज़िन्दगी में यादें उन बीते दिनों की यादें उन गुजरे पलों की याद आती है फिर बचपन की वो हँसी फुलवारीथोड़ा कच्चापन, थोड़ी नादानीवो हर समय की खेल-कूदवो हर पल शैतानी नहीं जानते क्या…