मैं इंसान हूं

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समझना चाहो तो मैं खुली किताब हूँ नहीं तो खुद से ही अनजान हूँ किसी का अरमान किसी का जहान हूँ गलतियों की खदान ज्ञान का आसमान हूं मैं ही हूं जीवन मैं ही आम मैं ही खास हूं प्रेम का स्रोत अपना ही परिणाम हूं मैं ही शांति दूत…

जीवित है

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जीवित है कुछ करना है कर जा न तुच्छ बन न तुच्छ समझ किसी को मृत्यु की न ख़्वाहिश कर जी, और जी जा वक़्त है अभी तो दुआ कर कल की ज़िन्दगी बन जा बेहतर समाज की कल्पना कर उसे हकीकत कर जा तरसेगा हर लम्हे को जो है…

परछाई बूंदों की होती

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परछाई बूंदों की होती, सागर की नहीं अंधेर दीपक तले होता, सूर्य के नहीं नज़र है पास सबके, क्यों नज़रिया नहीं ? ज़िन्दगी है पास सबके, क्यों जीने का रवैया नहीं ? धुंध छाए आकाश में, बरसता बादल है धुआं नहीं विकल्प सबके पास है, चुनने का हक़ या हुनर…

अपने सपने हो गए

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एक-एक कर सब अपने अब सपने हो गए कुछ सपने हैं उसमें से कुछ ही अपने हैं जाने पहचाने रिश्ते अनजाने हो गए देखते-देखते क्या से क्या हो गए कुछ पल में बदल गए कुछ तो बस यूं ही बदल गए हम देखते रह गए कि कब हम पराए हो…

बचपन

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कहीं गुम हो गई वो मासुमियतखो गई कहीं वो प्यारी मुसकान इस असंतोषी भागमभाग भारी ज़िन्दगी में यादें उन बीते दिनों की यादें उन गुजरे पलों की याद आती है फिर बचपन की वो हँसी फुलवारीथोड़ा कच्चापन, थोड़ी नादानीवो हर समय की खेल-कूदवो हर पल शैतानी नहीं जानते क्या…