परछाई बूंदों की होती

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परछाई बूंदों की होती, सागर की नहीं अंधेर दीपक तले होता, सूर्य के नहीं नज़र है पास सबके, क्यों नज़रिया नहीं ? ज़िन्दगी है पास सबके, क्यों जीने का रवैया नहीं ? धुंध छाए आकाश में, बरसता बादल है धुआं नहीं विकल्प सबके पास है, चुनने का हक़ या हुनर…