कई सवाल
ज़ेहन में उठते हैं मेरे
अगर हम जीते हैं तो
जीते क्यों नहीं ?
अगर ईश्वर को मानते हैं, तो
खुद में उसे ढूँढ़ते क्यों नहीं ?
ऐसा व्यवहार दूसरों से
क्यों करते हम
जो खुद संग होते
देख सकते नहीं ?
कहते हैं
जो चीज़ कम होती है
उसकी कीमत बढ़ जाती है
तो ईमान-प्रेम की क्यों नहीं ?
गलत कौन, अगर सब सही हैं
कोई सही भी कैसे जब
अगर कोई गलत नहीं ?
धन, मौका, वक्त, प्रसिद्धि,
प्रेम, इज्ज़त, ज़िन्दगी
जिसको मिलती है
वो कद्र नहीं करता
जो कद्र करता है
उसे मिलती क्यों नहीं ?
ज़ेहन में सवाल

Shame, that I am excluded!
Joanna
LikeLiked by 1 person
Sorry, unable to understand.
LikeLike