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Tag Archives: teaching
HOW TO TRANSCEND THE HUMAN ATTRIBUTE – “BONDAGE”
GITA WISDOM # 66 Chapter 14 verse 25 मानापमानयोस्तुल्यस्तुल्यो मित्रारिपक्षयोः।सर्वारम्भपरित्यागी गुणातीतः सा उच्यते॥ जो मान और अपमान में सम है, मित्र और वैरी के पक्ष में भी सम है एवं सम्पूर्ण आरम्भों में कर्तापन के अभिमान से रहित है, वह पुरुष गुणातीत कहा जाता है ॥25॥ The path to cross the human bondage involves twoContinue reading “HOW TO TRANSCEND THE HUMAN ATTRIBUTE – “BONDAGE””
HOW TO ATTAIN PEACE
GITA WISDOM # 65Chapter 14 verse 20 गुणानेतानतीत्य त्रीन्देही देहसमुद्भवान्।जन्ममृत्युजरादुःखैर्विमुक्तोऽमृतमश्नुते॥ यह पुरुष शरीर की (बुद्धि, अहंकार और मन तथा पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ, पाँच कर्मेन्द्रियाँ, पाँच भूत, पाँच इन्द्रियों के विषय- इस प्रकार इन तेईस तत्त्वों का पिण्ड रूप यह स्थूल शरीर प्रकृति से उत्पन्न होने वाले गुणों का ही कार्य है, इसलिए इन तीनों गुणों कोContinue reading “HOW TO ATTAIN PEACE”
THE SPOKEN WORD
GITA WISDOM # 64 Chapter 17 verse 15 अनुद्वेगकरं वाक्यं सत्यं प्रियहितं च यत्।स्वाध्यायाभ्यसनं चैव वाङ्मयं तप उच्यते॥ जो उद्वेग न करने वाला, प्रिय और हितकारक एवं यथार्थ भाषण है (मन और इन्द्रियों द्वारा जैसा अनुभव किया हो, ठीक वैसा ही कहने का नाम ‘यथार्थ भाषण’ है।) तथा जो वेद-शास्त्रों के पठन का एवं परमेश्वरContinue reading “THE SPOKEN WORD”
THE FUNCTIONS OF THE BODY
GITA WISDOM # 63 Chapter 17 verse 14 देवद्विजगुरुप्राज्ञपूजनं शौचमार्जवम्।ब्रह्मचर्यमहिंसा च शारीरं तप उच्यते॥ देवता, ब्राह्मण, गुरु (यहाँ ‘गुरु’ शब्द से माता, पिता, आचार्य और वृद्ध एवं अपने से जो किसी प्रकार भी बड़े हों, उन सबको समझना चाहिए।) और ज्ञानीजनों का पूजन, पवित्रता, सरलता, ब्रह्मचर्य और अहिंसा- यह शरीर- सम्बन्धी तप कहा जाता हैContinue reading “THE FUNCTIONS OF THE BODY”
WORDS OF WISDOM # 03
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THE FREEDOM STATE OF MIND
GITA WISDOM # 62 Chapter 2 verse 72 एषा ब्राह्मी स्थितिः पार्थ नैनां प्राप्य विमुह्यति।स्थित्वास्यामन्तकालेऽपि ब्रह्मनिर्वाणमृच्छति॥ हे अर्जुन! यह ब्रह्म को प्राप्त हुए पुरुष की स्थिति है, इसको प्राप्त होकर योगी कभी मोहित नहीं होता और अंतकाल में भी इस ब्राह्मी स्थिति में स्थित होकर ब्रह्मानन्द को प्राप्त हो जाता है ॥72॥ Once a leaderContinue reading “THE FREEDOM STATE OF MIND”
POSITIVE VIVES # 23
SIX ETHICS OF LIFE
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REPEAT AFTER ME
Happy Sunday!
MAKE A DIFFERENCE
Have good time…
TRUE STATUS OF THE EQUIPOISED MIND
GITA WISDOM # 61 Chapter 59 Verse 2 विषया विनिवर्तन्ते निराहारस्य देहिनः।रसवर्जं रसोऽप्यस्य परं दृष्टवा निवर्तते॥ इन्द्रियों द्वारा विषयों को ग्रहण न करने वाले पुरुष के भी केवल विषय तो निवृत्त हो जाते हैं, परन्तु उनमें रहने वाली आसक्ति निवृत्त नहीं होती। इस स्थितप्रज्ञ पुरुष की तो आसक्ति भी परमात्मा का साक्षात्कार करके निवृत्त होContinue reading “TRUE STATUS OF THE EQUIPOISED MIND”
POSITIVE VIBES # 21
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THE GENTLE GUIDANCE
GITA WISDOM # 60 Chapter 2 verse 10 तमुवाच हृषीकेशः प्रहसन्निव भारत।सेनयोरुभयोर्मध्ये विषीदंतमिदं वचः॥ हे भरतवंशी धृतराष्ट्र! अंतर्यामी श्रीकृष्ण महाराज दोनों सेनाओं के बीच में शोक करते हुए उस अर्जुन को हँसते हुए से यह वचन बोले ॥10॥ Krishna opens his advice, with a semblance of a gentle smile, to the grief-struck Arjuna. This befitsContinue reading “THE GENTLE GUIDANCE”
SKILLS AND COMPETENCE
GITA WISDOM # 59 Chapter 4 verse 32 एवं बहुविधा यज्ञा वितता ब्रह्मणो मुखे।कर्मजान्विद्धि तान्सर्वानेवं ज्ञात्वा विमोक्ष्यसे॥ इसी प्रकार और भी बहुत तरह के यज्ञ वेद की वाणी में विस्तार से कहे गए हैं। उन सबको तू मन, इन्द्रिय और शरीर की क्रिया द्वारा सम्पन्न होने वाले जान, इस प्रकार तत्व से जानकर उनके अनुष्ठानContinue reading “SKILLS AND COMPETENCE”