#चार आश्रम #सनातन धर्म #संस्कृत श्लोक

The four ashramas are: Brahmacharya (student), Grihastha (householder), Vanaprastha (retired) and Sannyasa (renunciate). The Ashrama system is one facet of the Dharma concept in Hinduism.

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प्रथमेनार्जिता विद्या
द्वितीयेनार्जितं धनं।
तृतीयेनार्जितः कीर्तिः (पुण्य कमाना)
चतुर्थे किं करिष्यति।।

भावार्थ:

जिसने भी प्रथम आश्रम (ब्रह्मचर्य) में विद्या अर्जित नहीं की है, द्वितीय आश्रम (गृहस्थ) में धन अर्जित नहीं किया है, तृतीय आश्रम (वानप्रस्थ) में कीर्ति अर्जित नहीं की है (पुण्य नहीं कमाया), वह चतुर्थ आश्रम (संन्यास) में क्या करेगा?

सनातन धर्म में कर्त्तव्य पालन के लिए चार आश्रम दिये गये है, जिससे व्यक्ति को जीवन जीने के लिए लक्ष्य मिल सके।

  1. ब्रह्मचर्य
  2. गृहस्थ
  3. वानप्रस्थ
  4. संन्यास

1. ब्रह्मचर्य – 25 वर्ष तक की आयु, विधा प्राप्ति करके जीवन को खुद के बलबूते पर चलाने के लिए तैयार हो जाना है।

2. गृहस्थ – 25 से 50 वर्ष तक की आयु, विवाह करके पारिवारिक और सामाजिक दायित्व निभाना है।

3. वानप्रस्थ- 50 से 75 वर्ष तक की आयु, पारिवारिक जिम्मेदारियों से निवृत्त हो जाना है और बहु-बेटे को सारी जिम्मेदारी दे देनी है, बच्चे बड़े हो जाने से धीरे धीरे…

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Published by Debasis Nayak

A natural leader who experiments a lot and cares for all ! The title of my blog is not about my blood group. It's a message to all my readers to think positive and write on my blog posts openheartedly what they think!!

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