ROLE OF SMALL ENDEAVORS (KAIZEN)

GITA WISDOM #29 यनेहाभिक्रमनाशोऽस्ति प्रत्यवातो न विद्यते।स्वल्पमप्यस्य धर्मस्य त्रायते महतो भयात्‌॥ इस कर्मयोग में आरंभ का अर्थात बीज का नाश नहीं है और उलटा फलरूप दोष भी नहीं है, बल्कि इस कर्मयोग रूप धर्म का थोड़ा-सा भी साधन जन्म-मृत्यु रूप महान भय से रक्षा कर लेता है॥40॥ In the world of action, even minor orContinue reading “ROLE OF SMALL ENDEAVORS (KAIZEN)”

THE CORPORATE SOUL

GITA WISDOM #28 अच्छेद्योऽयमदाह्योऽयमक्लेद्योऽशोष्य एव च।नित्यः सर्वगतः स्थाणुरचलोऽयं सनातनः॥ क्योंकि यह आत्मा अच्छेद्य है, यह आत्मा अदाह्य, अक्लेद्य और निःसंदेह अशोष्य है तथा यह आत्मा नित्य, सर्वव्यापी, अचल, स्थिर रहने वाला और सनातन है॥24॥ (Like the soul), the corporate shall remain unaffected and motionless, even when external forces try to push it down. It’s systemsContinue reading “THE CORPORATE SOUL”

THE FUNDAMENTAL TRUTH

GITA WISDOM #27 नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सतः।उभयोरपि दृष्टोऽन्तस्त्वनयोस्तत्वदर्शिभिः॥ असत्‌ वस्तु की तो सत्ता नहीं है और सत्‌ का अभाव नहीं है। इस प्रकार इन दोनों का ही तत्व तत्वज्ञानी पुरुषों द्वारा देखा गया है॥16॥ The earthly things have no permanence, even as the eternal truth is unassailable. The wise know this profound distinction.Continue reading “THE FUNDAMENTAL TRUTH”

ANATOMY OF ACTIONS

GITA WISDOM #27 ज्ञानं ज्ञेयं परिज्ञाता त्रिविधा कर्मचोदना।करणं कर्म कर्तेति त्रिविधः कर्मसङ्ग्रहः॥ ज्ञाता (जानने वाले का नाम ‘ज्ञाता’ है।), ज्ञान (जिसके द्वारा जाना जाए, उसका नाम ‘ज्ञान’ है। ) और ज्ञेय (जानने में आने वाली वस्तु का नाम ‘ज्ञेय’ है।)- ये तीनों प्रकार की कर्म-प्रेरणा हैं और कर्ता (कर्म करने वाले का नाम ‘कर्ता’ है।),Continue reading “ANATOMY OF ACTIONS”

SUCCESS OF ENDEAVORS

GITA WISDOM #26 अधिष्ठानं तथा कर्ता करणं च पृथग्विधम्‌।विविधाश्च पृथक्चेष्टा दैवं चैवात्र पञ्चमम्‌॥ इस विषय में अर्थात कर्मों की सिद्धि में अधिष्ठान (जिसके आश्रय कर्म किए जाएँ, उसका नाम अधिष्ठान है) और कर्ता तथा भिन्न-भिन्न प्रकार के करण (जिन-जिन इंद्रियादिकों और साधनों द्वारा कर्म किए जाते हैं, उनका नाम करण है) एवं नाना प्रकार कीContinue reading “SUCCESS OF ENDEAVORS”

RECOGNISING INDIVIDUAL ATTITUDES

GITA WISDOM #24 सदृशं चेष्टते स्वस्याः प्रकृतेर्ज्ञानवानपि।प्रकृतिं यान्ति भूतानि निग्रहः किं करिष्यति॥ सभी प्राणी प्रकृति को प्राप्त होते हैं अर्थात अपने स्वभाव के परवश हुए कर्म करते हैं। ज्ञानवान्‌ भी अपनी प्रकृति के अनुसार चेष्टा करता है। फिर इसमें किसी का हठ क्या करेगा॥33॥ In any organization, employees possess distinct individual traits and discharge theirContinue reading “RECOGNISING INDIVIDUAL ATTITUDES”

BEHAVIOUR AND STRESS

GITA WISDOM #23 ये मे मतमिदं नित्यमनुतिष्ठन्ति मानवाः।श्रद्धावन्तोऽनसूयन्तो मुच्यन्ते तेऽति कर्मभिः॥ जो कोई मनुष्य दोषदृष्टि से रहित और श्रद्धायुक्त होकर मेरे इस मत का सदा अनुसरण करते हैं, वे भी सम्पूर्ण कर्मों से छूट जाते हैं॥31॥ Eliminating the narrow attitude of fault-finding, executives who follow the ordained work ethics with full devotion, are relieved fromContinue reading “BEHAVIOUR AND STRESS”

JOY WITHIN ONESELF

GITA WISDOM #22 श्रीभगवानुवाच –प्रजहाति यदा कामान्‌ सर्वान्पार्थ मनोगतान्‌।आत्मयेवात्मना तुष्टः स्थितप्रज्ञस्तदोच्यते॥ श्री भगवान्‌ बोले- हे अर्जुन! जिस काल में यह पुरुष मन में स्थित सम्पूर्ण कामनाओं को भलीभाँति त्याग देता है और आत्मा से आत्मा में ही संतुष्ट रहता है, उस काल में वह स्थितप्रज्ञ कहा जाता है॥55॥ The person who is bereft of greedContinue reading “JOY WITHIN ONESELF”

THE VISION AND BEHAVIOUR

GITA WISDOM #21 यावानर्थ उदपाने सर्वतः सम्प्लुतोदके।तावान्सर्वेषु वेदेषु ब्राह्मणस्य विजानतः॥ सब ओर से परिपूर्ण जलाशय के प्राप्त हो जाने पर छोटे जलाशय में मनुष्य का जितना प्रयोजन रहता है, ब्रह्म को तत्व से जानने वाले ब्राह्मण का समस्त वेदों में उतना ही प्रयोजन रह जाता है॥46॥ Have a great day…

THE RIGHT WAY OF CHARITY

GITA WISDOM #20 दातव्यमिति यद्दानं दीयतेऽनुपकारिणे।देशे काले च पात्रे च तद्दानं सात्त्विकं स्मृतम्‌॥ Have a great day…

THE EVIL THAT PEOPLE DO

GITA WISDOM #19 दम्भो दर्पोऽभिमानश्च क्रोधः पारुष्यमेव च।अज्ञानं चाभिजातस्य पार्थ सम्पदमासुरीम्‌॥ Have a great day…

THE OUTCOME OF THE BEHAVIORAL PATTERNS

GITA WISDOM #17 सत्त्वं सुखे सञ्जयति रजः कर्मणि भारत।ज्ञानमावृत्य तु तमः प्रमादे सञ्जयत्युत॥ Have a great day…

IMPACT OF LAZINESS

GITA WISDOM #16 तमस्त्वज्ञानजं विद्धि मोहनं सर्वदेहिनाम्‌।प्रमादालस्यनिद्राभिस्तन्निबध्नाति भारत॥ Have a great day…