THE VISION AND BEHAVIOUR

GITA WISDOM #21 यावानर्थ उदपाने सर्वतः सम्प्लुतोदके।तावान्सर्वेषु वेदेषु ब्राह्मणस्य विजानतः॥ सब ओर से परिपूर्ण जलाशय के प्राप्त हो जाने पर छोटे जलाशय में मनुष्य का जितना प्रयोजन रहता है, ब्रह्म को तत्व से जानने वाले ब्राह्मण का समस्त वेदों में उतना ही प्रयोजन रह जाता है॥46॥ Have a great day…

वसुधैव कुटुम्बकम्

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वसुधैव कुटुम्बकम्मेरा ऐसा मानना है कि समाज में पहले से अधिक भाईचारा है और विशेष कर कोरोना काल के प्रादुर्भाव से और भी बढ़ा है |  परिवार से शुरुवात होकर पास पड़ोस, फिर मकान या कॉम्प्लेक्स और फिर अपने समाज ,शहर आदि में इस भाईचारे का फैलाव दुनिया के सभी वृद्धाश्रमों को बंद करने की…